प्रेम मंदिर की यात्रा – एक 12 साल के बच्चे की नजर से(जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज)

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  ठंडी की छुट्टियाँ शुरू होते ही मैं बहुत खुश था। अब पूरे दो हफ़्तों के लिए ना स्कूल जाना था, ना होमवर्क करना था। मुझे लगा पापा हमको इस बार पहाड़ों पर बर्फबारी दिखाने लेकर जाएंगे, लेकिन जब पापा ने बताया कि हम वृंदावन के प्रेम मंदिर जा रहे हैं, तो मेरी एक्साइटमेंट थोड़ी कम हो गई। मुझे लगा मंदिर में तो बस पूजा-पाठ होता है, मैं वहां जाकर क्या करूंगा! मैंने जब इसके बारे में मम्मी से बोला तो उन्होनें यह कहकर टाल दिया, "एक बार चलो तो, फिर देखना!" हम सुबह तैयार होकर दिल्ली से अपनी कार से ही वृन्दावन के लिए निकले। पापा कार चला रहे थे, मम्मी और मेरी बहन पीछे वाली सीट पर थी, और मैं आगे पापा के बगल में बैठ गया। रास्ते में मैं खिड़की से बाहर देखता रहा और सोचता रहा कि पता नहीं ये ट्रिप कैसी होने वाली है। पापा रास्ते में बता रहे थे कि प्रेम मंदिर   जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज  ने बनवाया है और यह राधा-कृष्ण जी और सीता-राम जी का मंदिर है।

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज: भक्ति, ज्ञान और समाज सेवा के अद्वितीय मार्गदर्शक"


 जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज का जीवन एक अविस्मरणीय यात्रा है, जिसमें भक्ति, ज्ञान और समाज सेवा का अद्भुत संगम है। उन्होंने अपनी शिक्षाओं और कार्यों से न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को आध्यात्मिक दिशा दिखाई। वे न केवल महान संत थे, बल्कि एक समाज सुधारक और मानवता के सच्चे सेवक भी थे।

🌸 श्री कृपालु जी का जन्म और जीवन

श्री कृपालु जी महाराज का जन्म 5 अक्टूबर 1922 को उत्तर प्रदेश के मंगढ़ गांव में हुआ था। उनका बचपन साधारण था, लेकिन उनकी आध्यात्मिक प्रवृत्तियाँ और धार्मिक रुचि जल्द ही स्पष्ट हो गई। वे बचपन से ही वेद, उपनिषद और भगवद गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने में रुचि रखते थे।

भक्ति के प्रति समर्पण

श्री कृपालु जी महाराज का जीवन भक्ति का प्रतीक था। उनका कहना था कि ईश्वर के प्रेम में डूबकर ही जीवन का वास्तविक आनंद मिलता है। उन्होंने "रूपध्यान" और "भक्ति ध्यान" की विधि का प्रचार किया, जिसके माध्यम से भक्त भगवान के रूप को मन में संजोकर अपने हृदय में प्रेम और श्रद्धा की गहराई तक पहुँच सकते हैं।

उनकी शिक्षाओं में यह स्पष्ट था कि सच्ची भक्ति तब होती है जब व्यक्ति ईश्वर को अपने जीवन का केंद्र मानता है।

🌿 समाज सेवा और मानवता का समर्थन

श्री कृपालु जी महाराज ने मानवता की सेवा को भी अपने जीवन का अहम हिस्सा बनाया। उन्होंने "जगद्गुरु कृपालु जी महाराज सेवा संस्थान" की स्थापना की, जो आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य, और गरीबों के लिए विभिन्न सामाजिक कार्यों में संलग्न है। उनके अनुयायी स्वास्थ्य सेवाएँ, रोजगार प्रशिक्षण, और गरीबों के लिए भोजन वितरण जैसी योजनाओं के माध्यम से समाज की सेवा करते हैं।

🌟 जगद्गुरु श्री कृपालु जी का आध्यात्मिक संदेश

श्री कृपालु जी का आध्यात्मिक संदेश यह था कि "प्रेम और भक्ति" ही आत्मा का परम उद्देश्य है। उन्होंने जीवन को एक साधना की तरह देखने का दृष्टिकोण प्रदान किया, जिसमें हर व्यक्ति को ईश्वर के साथ अपने संबंध को मजबूत करने का मार्ग दिखाया। उनके अनुसार, जीवन का असली सुख तभी मिलता है जब व्यक्ति अपने अंतर्मन में प्रेम और भक्ति की गहरी भावना उत्पन्न करता है।

🕊️ उनकी विरासत

आज श्री कृपालु जी महाराज की शिक्षाएँ दुनिया भर में फैली हुई हैं। उनके आध्यात्मिक ज्ञान, समाज सेवा और प्रेम भक्ति के सिद्धांतों से अनगिनत लोग प्रेरित हो रहे हैं। उनके द्वारा स्थापित प्रेम मंदिर, जो वृंदावन में स्थित है, उनके आध्यात्मिक दृष्टिकोण और भक्ति की दीवारों पर उकेरी गई प्रेम और शांति की छवि को दर्शाता है।


निष्कर्ष:
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज का जीवन एक प्रकाशपुंज की तरह है, जो सभी को भक्ति, प्रेम और ज्ञान का मार्ग दिखाता है। उनकी शिक्षाएँ आज भी लोगों के दिलों में गहरी पैठ बना चुकी हैं और उनके सादगीपूर्ण और समाज सेवा के सिद्धांतों से हर व्यक्ति अपने जीवन को एक नए दिशा में संवार सकता है।

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